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Pradnya Vivardhan Stotra : प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र

Pradnya Vivardhan Stotra प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र

अस्य श्री प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र मन्त्रस्य सनत्कुमार ऋषि:

स्वामी कार्तिकेयो देवता अनुष्टुप छन्द :

मम सकल विद्या सिध्यर्थे , प्रज्ञा वृध्यर्थे प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र पारायणे विनियोग: !!

स्कन्द उवाच !!

योगिश्वरो महासेन: कार्तिकेयोग्नि नंदन: !

स्कन्द: कुमार सेनानी: स्वामी शंकर सम्भव: !!

गाँगेयस्ताम्र चूडश्च ब्रम्हचारी शिखिध्वज: !

तारकारी उमापुत्र क्रौंचारिश्च षडानन: !!

शब्दब्रम्ह समुद्रश्च सिद्ध सारस्वतों गुह: !

सनत्कुमारो भगवान भोगमोक्ष फलप्रद:!!

शरजन्मा गणाधीश पूर्वजो मुक्ति मार्ग कृत !

सर्वागम प्रणेताच वांच्छितार्थ प्रदर्शन : !!

अष्टाविंशति नामानि मदीयानीति य: पठेत !

प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पति: भवेत् !!

महामंत्र मयानीति मम नामानु कीर्तनम् !

महाप्रज्ञा मवाप्नोति नात्रकार्या विचारणा !!

!! इति श्री रुद्रयामले प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्रं सम्पूर्णम !!

हे ही वाचा : मधुराष्टकम्